एक जवान एक माँ का लाल अपनी मिट्टी अपनी माँ के लिए अपने ज़ज्बात बताता है अपना प्यार बताता है उस पर हिंदी में कविता...
हे माँ तेरा लाल हू मैं...
हे माँ तेरा लाल हू मैं,
तेरी आन बान और शान के लिए जीता रहूंगा मरता रहूंगा...
मिले अमृत या फिर जहर खुशी से पी ता रहूंगा...
जिंदगी भले मिली है एकबार,
मगर मैं तेरे लिए बार बार मरता रहूंगा...
यही है तेरे लिए मेरा प्यार,
मैं इजहार तुझसे लगातार करता रहूंगा...
हे माँ तेरा लाल हू मैं,
तेरी आन बान और शान के लिए जीता रहूंगा मरता रहूंगा...
बस तू रहे सलामत इसीलिए,
मैंने ऊंचे पहाड़ों पे चढ़ना सीखा...
ऊंचे आसमान में उड़ना सीखा...
गहरे समुंदर में तैरना सीखा...
हर मुश्किलों से लड़ना सीखा...
हे माँ तेरी हर तरफ दीवार सा खड़ा हू तुझे कुछ नहीं होने दूंगा...
हे माँ तेरा लाल हू मैं,
तेरी आन बान और शान के लिए जीता रहूंगा मरता रहूंगा...
बस तू रहे सलामत इसीलिए,
मैंने ऊंची लहरों से भिड़ना सीखा...
हर तूफान हर बवंडर से लड़ना सीखा...
कई दिन कई रात भूखे पेट जागना सोना सीखा...
हर मौसम की बेरुखी को गले लगाना सीखा...
ज़ख्म कितने भी मिले मगर हसते हुए उसे सहना सीखा...
हे माँ तेरा हर गम मेरा और मेरी हर खुशियां तुझपे लुटा दूंगा...
हे माँ तेरा लाल हू मैं,
तेरी आन बान और शान के लिए जीता रहूंगा मरता रहूंगा...
ये तेरी मिट्टी के ही संस्कार है मुझमे इसीलिए,
अगर कोई तेरा आदर करेगा तो मैं उसका सत्कार करूंगा...
कोई दोस्त बनकर आयेगा तो मैं उसे फूलो का हार पहनाऊंगा...
अगर कोई दुश्मन पहेले वार करेगा तो मैं खामोश रहूंगा...
दूसरी बार करेगा तो पलटवार करूंगा...
मगर बार बार करेगा तो उसे मार दूंगा...
हे माँ तेरे लिए मैं झुक तो सकता हूं मगर कोई तेरा अपमान करे तो उसकी जान ले लूंगा...
हे माँ तेरा लाल हू मैं,
तेरी आन बान और शान के लिए जीता रहूंगा मरता रहूंगा...
तेरी तरफ अगर कोई दुश्मन आंख उठाए,
मैं ज्वालामुखी की आग बनकर दुश्मनों को जला दूंगा...
बर्फीली हवा बनकर दुश्मनों को बर्फ मे जमा दूंगा...
तूफान बनकर दुश्मनों को कही दूर तक फेंक दूंगा...
समंदर की सुनामी बनकर दुश्मनों की हस्ती मिटा दूंगा...
हे माँ मैं अकेला ही दुश्मनों का नामोनिशान मिटा दूंगा...
हे माँ तेरा लाल हू मैं,
तेरी आन बान और शान के लिए जीता रहूंगा मरता रहूंगा...
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